Monday, April 7, 2025
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CM Mann ने Ravi-Beas जल ट्रिब्यूनल के समक्ष जोरदार तरीके से उठाया राज्य का पक्ष

Ravi-Beas जल ट्रिब्यूनल के समक्ष राज्य के आधिकारिक पक्ष की पुरजोर वकालत करते हुए

रावी-ब्यास जल ट्रिब्यूनल के समक्ष राज्य के आधिकारिक पक्ष की पुरजोर वकालत करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने बुधवार को स्पष्ट रूप से कहा कि पंजाब के पास अन्य राज्यों को देने के लिए पानी की एक भी बूंद अतिरिक्त नहीं है। चेयरमैन जस्टिस विनीत सरन के नेतृत्व वाली ट्रिब्यूनल, सदस्य जस्टिस पी. नवीन राव, जस्टिस सुमन श्याम तथा रजिस्ट्रार रीटा चोपड़ा , के साथ मीटिंग के दौरान मुख्यमंत्री ने दोहराया कि पंजाब के पास किसी अन्य राज्य के साथ साझा करने के लिए कोई अतिरिक्त पानी उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि पानी साझा करने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता और अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार पानी की उपलब्धता का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता है। भगवंत सिंह मान ने रावी जल प्रणाली के अध्यन के लिए राज्य के दौरे पर आए ट्रिब्यूनल से अपील की कि वह पंजाब के लोगों को न्याय दिलाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब के 76.5 प्रतिशत ब्लॉक (153 में से 117) की स्थिति अत्यंत गंभीर है, क्योंकि यहां भूजल निकासी की दर 100 प्रतिशत से भी अधिक है, जबकि हरियाणा में यह केवल 61.5 प्रतिशत ब्लॉक (143 में से 88) में ही अत्यधिक दोहन की स्थिति में है। उन्होंने कहा कि राज्य के अधिकांश नदी स्रोत सूख चुके हैं, इसलिए पंजाब को अपनी सिंचाई आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अधिक पानी की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थिति इतनी गंभीर है कि पंजाब में पानी की भारी कमी होने के बावजूद यह अन्य राज्यों के लिए अन्न का उत्पादन कर रहा है ताकि देश को खाद्यान्न संकट का सामना न करना पड़े।
मुख्यमंत्री ने ट्रिब्यूनल को बताया कि जिस तरह रावी और ब्यास नदियां पंजाब के पुराने क्षेत्र से होकर गुजरती थीं, उसी तरह यमुना नदी भी पुनर्गठन से पहले पंजाब के क्षेत्र में से निकलती थी। लेकिन जल बंटवारे के समय पंजाब और हरियाणा के बीच यमुना के जल पर विचार नहीं किया गया, जबकि रावी और ब्यास के जल को ध्यान में रखा गया। उन्होंने कहा कि पंजाब ने कई बार यमुना के जल बंटवारे में हिस्सेदारी की मांग की है, लेकिन यह तर्क देकर इस पर विचार नहीं किया गया कि पंजाब का कोई भौगोलिक क्षेत्र यमुना बेसिन में नहीं आता। भगवंत सिंह मान ने कहा कि हरियाणा रावी और ब्यास नदियों का बेसिन राज्य नहीं है, फिर भी पंजाब को इन नदियों का पानी हरियाणा के साथ साझा करने के लिए मजबूर किया जाता है।
उन्होंने कहा कि यदि हरियाणा को पंजाब के उत्तराधिकारी राज्य के रूप में रावी-ब्यास का पानी मिलता है, तो समानता के आधार पर यमुना का पानी भी पंजाब के उत्तराधिकारी राज्य के रूप में साझा किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार नहरी पानी को सिंचाई के लिए इस्तेमाल करने के प्रयास कर रही है। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने पदभार संभाला था, तब पंजाब में केवल 21 प्रतिशत नहरी पानी ही सिंचाई के लिए उपयोग हो रहा था, लेकिन अब यह बढ़कर 84 प्रतिशत हो गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के कड़े प्रयासों के कारण भूजल स्तर बढ़ने लगा है और केंद्र सरकार की रिपोर्ट के अनुसार इसमें एक मीटर की वृद्धि दर्ज की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को गेहूं-धान के चक्र से बाहर निकालकर फसल विविधीकरण अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
उन्होंने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिए वैकल्पिक फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रदान किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब राष्ट्रीय खाद्य पूल में 180 लाख मीट्रिक टन चावल का योगदान देता है, जिससे देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है। उन्होंने अफसोस जताया कि पंजाब से अनाज लेने के बाद, किसानों को पराली जलाने और प्रदूषण फैलाने का दोषी ठहरा दिया जाता है। उन्होंने इसे अनुचित करार देते हुए कहा कि पंजाब के मेहनती किसानों ने देश को खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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